11 RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING

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11 RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING : रामायण एक महाग्रंथ है, भगवान राम के जीवन की पुर्ण कथा। भगवान राम द्वारा किए गए कार्यो और उनके धर्म का पालन करने की गाथा, जो युगो से प्रचलित है। अगर कोई इस कथा के ज्ञान को अपने जीवन मे उतार ले तो वो भगवान को पा सकता है। इस कथा की महिमा का वर्णन हमे महान व्यक्तित्व से लेकर आमजन के मुँह से भी सुनने को मिलता है।

इसका अथाह  ज्ञान जीवन के आदर्श को एक मूल्य प्रदान करता है। महर्षी वाल्मिकी ने इस कथा को लिखते हुए अनेक ऐसे श्लोकों की रचना की जो हमे जीवन मे अनेक जगह पर सहायता प्रदान कर सकते है।  इनमे से कुछ श्लोक हम आज के आर्टिकल मे आप लोगो के सामने रखने जा रहे हैं। महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में लिखी गई रामायण मे श्लोक निम्नलिखित हैं

11 RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING

RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING

1. धर्म-धर्मादर्थः प्रभवति धर्मात्प्रभवते सुखम् ।

    धर्मण लभते सर्वं धर्मप्रसारमिदं जगत् ॥

 धर्म से ही धन, सुख, तथा सब कुछ प्राप्त होता है

  इस संसार में सभी वस्तुओं का सार धर्म ही है

भावार्थ-  मृत्युलोक का जीवन हमेशा ही सुखो एवं दुखों की आशा मध्य होता है। परंतु धर्म से बडा सुख कोई नही हो सकता, ये वाल्मिकी जी ने  बताया है। अस्तित्व रखने वाली सभी वस्तू का सार धर्म भी है। धर्म से ही सभी प्रकार के सुख प्राप्त हो सकते है। 

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2    क्रोध – वाच्यावाच्यं प्रकुपितो न विजानाति कर्हिचित् ।

     नाकार्यमस्ति क्रुद्धस्य नवाच्यं विद्यते क्वचित् ॥  

   क्रोध में मनुष्य को यह आभास नहीं रहता। उसे क्या कहना चाहिए और क्या नहीं कहना चाहिए क्रोध में मनुष्य कुछ भी कह सकता है। क्रोध में की गई बातें सही और गलत नहीं होती। 

भावार्थ- काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार। यह पांच अवगुण मनुष्य के जीवन को दुखों में परिवर्तित करने में अहम योगदान निभाते हैं। इनमें से क्रोध के समय मनुष्य को कभी यह आभास नहीं होता कि वह सही है अथवा गलत। उसे क्या कहना चाहिए और क्या नहीं कहना चाहिए। क्रोध के आवेग में कहीं भी कही गई बात मुख्यतः गलत ही साबित होती है। [11 RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING]

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3    सुदुखं शयितः पूर्वं प्राप्येदं सुखमुत्तमम् ।
      प्राप्तकालं न जानीते विश्वामित्रो यथा मुनिः ॥

 किसी को अत्यधिक दुख देखने के बाद बहुत शुभ प्राप्त होता है। उसे विश्वामित्र मुनि की तरह समय का ज्ञान नहीं रहता। सुख का अधिक समय तक रहना भी थोड़ा ही दिखाई देता है। 

भावार्थ- सुख एवं दुख इस जीवन के दो पहलू है। परंतु यदि दुख देखने के बाद किसी को बहुत समय तक सुख की प्राप्ति होती है, तो उसे समय का ज्ञान नहीं रहता। ऐसा ही कुछ विश्वामित्र के साथ हुआ था, जब वह अधिक समय तक सुखों का जीवन व्यतीत करते रहे। परंतु थोड़े समय के दुख पर ही उन्हें ऐसा लगा कि मेरा सुखी जीवन बहुत अल्प आयु का था।  

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4.   शोकः शौर्यपकर्षणः ॥

     शोक मनुष्य के शौर्य को नष्ट कर देता है

भावार्थ- एक सुखी जीवन के मूल मंत्रों में से एक मनुष्य का दृढ़ संकल्प भी होता है। परंतु जो भी मिला है, उसे खोने का डर और शोक मनुष्य के शौर्य को नष्ट कर देता है। चाहे कोई व्यक्ति हो या माया, जो चीज आई है उसे जाना ही है। लेकिन यदि हम उसका शोक मानेंगे तो हम उसके और अपने दोनों के ही शौर्य को नष्ट कर देते हैं। 

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5. सुख-दुर्लभं हि सदा सुखम् ।

    सुख सदा नहीं रहता 

भावार्थ- इस संसार में किसी का भी जीवन सदा सुखी या सदा दुखी नहीं रह सकता। हर मनुष्य के जीवन में सुख और दुख लिखे होते हैं। तो ना तो दुख सदा रह सकता है और ना ही सुख सदैव उपस्थित हो सकता है। [11 RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING]

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6. न सुखाल्लभ्यते सुखम् ॥

 सुख से सुख की वृद्धि नहीं होती 

भावार्थ- यदि हम केवल सुख की परिभाषा को देखते हुए जीवन का मूल्यांकन करेंगे। तो हम खुद को कभी सुखी नहीं पा सकते। सुख से सुख की वृद्धि नहीं हो सकती। कुछ समय के दुख के पश्चात यदि हमें सुख प्राप्त होता है, तो हमें उसका मूल्य समझ में आता है और सुखों की वृद्धि होती है।

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7. निरुत्साहस्य दीनस्य शोकपर्याकुलात्मनः ।

 सर्वार्था व्यवसीदन्ति व्यसनं चाधिगच्छति ॥

उत्साह हीन और शोकाकुल होने से मनुष्य के सभी काम बिगड़ जाते हैं और वह घोर विपत्ति में फंस जाता है।  

भावार्थ- किसी भी मनुष्य का सदैव शोकाकुल रहने का व्यवहार उसे संसार में होने वाली विपदाओं और दुखों से लड़ने की क्षमता को घटाता है। इससे मनुष्य के सभी काम बिगड़ जाते हैं और वह अपने आप को घोर विपत्ति में खड़ा पाते हैं। 

RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING
11 RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING

8.  गुणगान् व परजनः स्वजनो निर्गुणोऽपि वा । 

      निर्गणः स्वजनः श्रेयान् यः परः पर एव सः ॥

पराया मनुष्य भले ही गुणवान् हो व  स्वजन सर्वथा गुणहीन ही क्यों न हो, लेकिन गुणी परजन से गुणहीन स्वजन ही भला होता है। अपना तो अपना है और पराया पराया ही रहता है। [11 RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING]

भावार्थ- भारतीय संस्कृति में परिवार को सर्वोपरि रखा गया है। संयुक्त परिवार की यह सभ्यता हमें अपनापन सिखाती है। हमारा अपना कितना ही गनहीन क्यों ना हो परंतु पराए मनुष्य से भला ही होता है। चाहे वह पराया इंसान कितना ही गुणवान क्यों ना हो । 

RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING

9. सत्यमेवेश्वरो लोके सत्ये धर्मः सदाश्रितः । 

   सत्यमूलनि सर्वाणि सत्यान्नास्ति परं पदम् ॥      

 सत्य ही संसार में ईश्वर है: धर्म भी सत्य पर ही टीका हुआ है: सत्य ही समस्त  भव- विभव का मूल है सत्य  से बढ़कर और कुछ नहीं है। [11 RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING]

RAMAYAN AUR RAMCHARITMANAS MEIN 7 ANTAR :[ most important ]

भावार्थ- इस संसार में सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं। सत्य से बड़ा कोई ईश्वर नहीं, और सत्य से बड़ा कोई कर्म नहीं हो सकता। इस संसार का अस्तित्व ही सत्य के आधार पर टिका हुआ है। 

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10. उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम् ।

      सोत्साहस्य हि लोकेषु न किञ्चदपि दुर्लभम् ॥

उत्साह बड़ा बलवान होता है; उत्साह से बढ़कर कोई बल नहीं है। उत्साही पुरुष के लिए संसार में कुछ भी पान कठिन नहीं है।

भावार्थ- किसी भी मनुष्य में बाहुबल, बुध्दिबल बहुत मायने रखता है। लेकिन उत्साह से बढ़कर कोई बल नहीं है। यदि मनुष्य में कुछ करने का उत्साह है, तो वह कार्य कितना भी कठिन हो उसे मनुष्य को करने की शक्ति प्रदान करता है। एक उत्साही पुरुष के लिए कुछ भी पाना कठिन नहीं है। 

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11. यदाचरित कल्याणि ! शुभं वा यदि वाऽशुभम् । 

     तदेव लभते भद्रे! कर्ता कर्मजमात्मनः ॥

मनुष्य जिस प्रकार अच्छा या बुरा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है। कर्ता को अपने कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है। [11 RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING]

भावार्थ- एक कहावत है “जैसी करनी वैसी भरनी” अर्थात आप जैसा भी करते हैं, वैसा ही फल आपको प्राप्त होता है। यदि आपका कर्म अच्छा है तो आपको अच्छे फल प्राप्त होंगे और यदि आपका कर्म बुरा है तो आपको उन बुरे कर्मों का फल भी अवश्य ही भोगना पड़ेगा। श्री कृष्ण ने भी कहा है “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ 

निष्कर्ष

रामायण और महाभारत जैसे आदि ग्रंथ हमें जीवन के मूल्य सीखाते हैं। इनके श्लोक हमें जीवन पद्धति सखाते हैं, और उनके अर्थ हमें मूल्य प्रदान करते हैं। रामायण ऐसे ही हजारों श्लोक से भरी हुई है, और इसके अथाह ज्ञान में मानो सागर समाया हुआ है। रामायण एक जीवन कथा ना होकर जीवन के मूल्यों को सीखने का एक सिद्धांत स्वरूप प्रतीत होता है। भारतीय संस्कृति के इस महा ग्रंथ की चर्चा हम आने वाले समय में भी अपने ब्लॉग पर करते रहेंगे। ऐसे ही और ब्लोग्स पढ़ने के लिए आप हमें सब्सक्राइब कर सकते हैं। [11 RAMAYAN SHLOK IN SANSKRIT WITH HINDI MEANING]

 धन्यवाद।।  


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